शुक्रवार, 9 जुलाई 2010

सपनों के पंख

सपनों के पंख लिए फिरती थी |
मैं भी एक उमंग लिए फिरती थी ||

आरमान था मुझे भी ,
जन्नत के सितारों का..
इस लिए जुल्फों को ,
हर पल संभाला करती थी ||


सपनों के पंख लिए फिरती थी |
मैं भी एक उमंग लिए फिरती थी ||

उसकी तस्बीर सिरहाने रख कर,
अपने जज्बात बयां करती थी |
कुछ सवालों से जवाव ,और कुछ
जवावों से सवाल किया करती थी ||


सपनों के पंख लिए फिरती थी |
मैं भी एक उमंग लिए फिरती थी ||

छू लूँ आसमां मैं ,
ये तमन्ना थी | मेरी भी..
इस लिए तकदीर में,
मेहनत के पैबंद सिया करती थी ||

सपनों के पंख लिए फिरती थी |
मैं भी एक उमंग लिए फिरती थी ||

गुरुवार, 20 मई 2010

काँच की काया

काँच की  काया
जो शोभा थी झरोखों की
काम था जिसका अटारियों  से झांकना
और ताकना घोर है कितना अँधेरा
लोग है बौने बाजारों में
और वह ऊँची सदा बेशक बंद
शिख्चो , दरवाजो में |

पर रुख लिया था बदल
जिंदगी ने अब उसकी
रह ली उसने खुद उन बाजारों की
जहाँ लोग दिखते थे उसे बौने |

छोड़  कर  शीश  महलो को 
ढूंढ़ ली उसने बहुमंजिली इमारते |
जहाँ मिली उसे नयी पहचान
उसका अपना एक अस्तित्व
कांच का केविन ,टेबल ,कुर्सी | |

पर फिर वही असमंजस्य
आज भी वहां दिखते है
लोग उसे  बौने |
जो कभी दिखा करते थे | 
उसे उन शीश महलो से
उनके बीच पहुँच  कर भी
ऊँची  ही नज़र आती "वह "
छूने भर से मैली हो जाने वाली
काँच की काया || 

बुधवार, 27 जनवरी 2010

खुदा भी मेरा न था|

वो रेहगुजर मेरा न था |
वो कारवाँ मेरा न था ||
कश्तियाँ सहमी हुई थी |
शाहिल भी मेरा न था ||


लेकर उम्मीदें  जशन  की
जब कर दिए रोशन चराग |
पर आंधियाँ बहकी हुई थी |
वकत  भी  मेरा  न  था ||

इल्म था उसको भी मेरी
बेपनाह  मोहब्त  का |
पर छोड़ कर मुझको गया |
वो  बेवफ़ा  मेरा  न  था  ||

मन्नतों पर मन्नतें की
सजदे किये शामोश्हर |
पर चाहतें बिखरी सभी
शायद खुदा भी मेरा न था ||

गज़ल

छेड कर सांसो को मेरी   
गुनगुनाता है कोई .....
दूर होकर भी न जाने,
क्यों ? पास आता है कोई..

लफ्जो  से  कर  दूँ  बयां......
पर किस्सा दीवाने दिल का है |
जो  इश्क  करता है  किसी  से
वो  जानता   है  आशिकी.....

छेड कर सांसो को मेरी
गुनगुनाता  है  कोई .....
दूर होकर  भी  न  जाने,
क्यों ? पास आता है कोई..


जो याद में उनकी गुजरे
लम्हे  वो  संजीदा  थे |
पर आंसुओं  का क्या करें
जो हाल कहते हैं | सभी ...


छेड कर सांसो को मेरी
गुनगुनाता है कोई .....
दूर होकर भी न जाने
क्यों ? पास आता है कोई....