वो रेहगुजर मेरा न था |
वो कारवाँ मेरा न था ||
कश्तियाँ सहमी हुई थी |
शाहिल भी मेरा न था ||
लेकर उम्मीदें जशन की
जब कर दिए रोशन चराग |
पर आंधियाँ बहकी हुई थी |
वकत भी मेरा न था ||
इल्म था उसको भी मेरी
बेपनाह मोहब्त का |
पर छोड़ कर मुझको गया |
वो बेवफ़ा मेरा न था ||
मन्नतों पर मन्नतें की
सजदे किये शामोश्हर |
पर चाहतें बिखरी सभी
शायद खुदा भी मेरा न था ||
वो कारवाँ मेरा न था ||
कश्तियाँ सहमी हुई थी |
शाहिल भी मेरा न था ||
लेकर उम्मीदें जशन की
जब कर दिए रोशन चराग |
पर आंधियाँ बहकी हुई थी |
वकत भी मेरा न था ||
इल्म था उसको भी मेरी
बेपनाह मोहब्त का |
पर छोड़ कर मुझको गया |
वो बेवफ़ा मेरा न था ||
मन्नतों पर मन्नतें की
सजदे किये शामोश्हर |
पर चाहतें बिखरी सभी
शायद खुदा भी मेरा न था ||