बुधवार, 27 जनवरी 2010

गज़ल

छेड कर सांसो को मेरी   
गुनगुनाता है कोई .....
दूर होकर भी न जाने,
क्यों ? पास आता है कोई..

लफ्जो  से  कर  दूँ  बयां......
पर किस्सा दीवाने दिल का है |
जो  इश्क  करता है  किसी  से
वो  जानता   है  आशिकी.....

छेड कर सांसो को मेरी
गुनगुनाता  है  कोई .....
दूर होकर  भी  न  जाने,
क्यों ? पास आता है कोई..


जो याद में उनकी गुजरे
लम्हे  वो  संजीदा  थे |
पर आंसुओं  का क्या करें
जो हाल कहते हैं | सभी ...


छेड कर सांसो को मेरी
गुनगुनाता है कोई .....
दूर होकर भी न जाने
क्यों ? पास आता है कोई....

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