सपनों के पंख लिए फिरती थी |
मैं भी एक उमंग लिए फिरती थी ||आरमान था मुझे भी ,
जन्नत के सितारों का..
इस लिए जुल्फों को ,
हर पल संभाला करती थी ||
सपनों के पंख लिए फिरती थी |
मैं भी एक उमंग लिए फिरती थी ||
उसकी तस्बीर सिरहाने रख कर,
अपने जज्बात बयां करती थी |
कुछ सवालों से जवाव ,और कुछ
जवावों से सवाल किया करती थी ||
सपनों के पंख लिए फिरती थी |
मैं भी एक उमंग लिए फिरती थी ||
छू लूँ आसमां मैं ,
ये तमन्ना थी | मेरी भी..
इस लिए तकदीर में,
मेहनत के पैबंद सिया करती थी ||
सपनों के पंख लिए फिरती थी |
मैं भी एक उमंग लिए फिरती थी ||
सपनों के पंख लिए फिरती थी |
जवाब देंहटाएंमैं भी एक उमंग लिए फिरती थी ||
बहुत बढ़िया रचना ....
इस लिए तकदीर में,
जवाब देंहटाएंमेहनत के पैबंद सिया करती थी ||
Badi alahida,anoothi abhiwyakti!
meri rachna ki sarahana ke liye..
जवाब देंहटाएंaap sabhi ko hardik dhanayabaad