पावन हैं तेरे कदमो के निशाँ ,दो बूंद मिले मिल जाए जहान।
जीवन के लिए तू अमृत है ,सावन के लिए तू जीवन दान।।
कहने को तू है रंगहीन , पर रंगों में आनोखा रंग तेरा।
तू गंगा में तू सतलुज में , सब नदियों में संगम तेरा।
झरने ,नदियाँ सब स्रोत तेरे , अम्बर है तेरा जीवन प्राण।
धरती से गहरा प्रतिशत तेरा ,सागर में है तेरा प्रलय गान।।
वृक्ष तरु सब तेरे सखा ,तुझ से ही खिलती वसुंधरा।
बादल भी बने चाकर तेरे ,और दास बना चातक तेरा।।
पाकर के तेरी मधुर ताल , झूम उठी यौवन बाला।
मधुमास के सुन्दर मौसम में,एक बूँद तेरी है मधुशाला।।
पिंकी वाजपेयी ................................
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